सौरभ आचार्यको कविता

आशा भोलिकै इछ्या भोलिकै।
कर्म छ आज, बिलाशा भोलिकै।।

गर्नु छ पूरा सपना अनेक।
पिडा छ आज, अनुशा भोलिकै।।

बन्दछ सागर थोपा-थोपाले।
लगन छ आज, अभिलाषा भोलिकै।।

छुनु छ शिखर सफलताको।
हार छ आज, दिलाषा भोलिकै।।

पल-पल बाच्न कठिन छ यहाँ ।
औशी छ आज, पक्ष भोलिकै।।

-सौरभ आचार्य