आशा भोलिकै इछ्या भोलिकै।
कर्म छ आज, बिलाशा भोलिकै।।
गर्नु छ पूरा सपना अनेक।
पिडा छ आज, अनुशा भोलिकै।।
बन्दछ सागर थोपा-थोपाले।
लगन छ आज, अभिलाषा भोलिकै।।
छुनु छ शिखर सफलताको।
हार छ आज, दिलाषा भोलिकै।।
पल-पल बाच्न कठिन छ यहाँ ।
औशी छ आज, पक्ष भोलिकै।।
-सौरभ आचार्य
Leave a Reply